बन अज्ञानी ज्ञान का दीप जलाता हैं, वह सदा ही जग से अंधेरा दूर भगाता हैं ! बन अज्ञानी ज्ञान का दीप जलाता हैं, वह सदा ही जग से अंधेरा दूर भगाता हैं !
तुम देर रातां तक ख़यालों में दौड़ीं। तुम देर रातां तक ख़यालों में दौड़ीं।
सुना है ईद आई थी कई लोग खुश भी थे हुस्न ओ कीमती लिबासों में बिखरे हुए मुबारकबाद देते थे कई हसीन हाथो... सुना है ईद आई थी कई लोग खुश भी थे हुस्न ओ कीमती लिबासों में बिखरे हुए मुबारकबाद ...
आखिर कौन है वो जो आईना पहने फिरता है आखिर कौन है वो जो आईना पहने फिरता है
यहाँ तुझे भूलने की कोशिश में मैं वहाँ और याद आ रहा हूँ । यहाँ तुझे भूलने की कोशिश में मैं वहाँ और याद आ रहा हूँ ।
ये ज़हर मुट्ठीभर रोज़ मेरे घर भड़की ख़बरों में लिपटा आता है। ये ज़हर मुट्ठीभर रोज़ मेरे घर भड़की ख़बरों में लिपटा आता है।